Home छत्तीसगढ़ भारत में कब सबसे ज्यादा और कम रही ब्याज दरें, कैसे शुरू...

भारत में कब सबसे ज्यादा और कम रही ब्याज दरें, कैसे शुरू हुई रेपो रेट की परंपरा, जानिए 33 साल का आर्थिक इतिहास

0

भारतीय रिजर्व बैंक ने आज रेपो रेट में 0.25% की कटौती कर दी. इसके साथ ही अब बैंक लोन सस्ते हो जाएंगे तो बचत योजनाओं पर कम ब्याज मिलेगा. हर साल में आरबीआई 2-3 दफा रेपो रेट (ब्याज दर) में कटौती करता है लेकिन क्या आप जानते हैं रेपो रेट होती क्या है, यह किस तरह आम आदमी को प्रभावित करती है. आइये आपको बताते हैं इसकी शुरुआत कब हुई थी और किस समय देश में सबसे ज्यादा और सबसे कम रेपो रेट थी.

रेपो रेट क्या है

रेपो रेट, वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई, देश के बैंकों को लोन देता है. दरअसल, बैंकों को जब पैसों की ज़रूरत होती है, तो वे अपनी सरकारी सिक्योरिटीज़ गिरवी रखकर आरबीआई से पैसा लेते हैं, और इस पर जो ब्याज लगता है, वह रेपो रेट कहलाता है.

जब भी रेपो रेट कम होता है, तो बैंकों को RBI से सस्ते ब्याज पर पैसा मिलता है, जिसके चलते बैंक भी आम लोगों को कम ब्याज पर लोन देते हैं. हालांकि, आरबीआई रेपो रेट में बदलाव, देश के आर्थिक हालात, खासकर महंगाई को ध्यान में रखकर करता है. जब भी देश में महंगाई बढ़ती है तो रेपो रेट बढ़ाया जाता है, और महंगाई के कम होने या नियंत्रण में रहने पर रेपो रेट घटाया जाता है.

कब हुई थी रेपो रेट की शुरुआत

साल 1992 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट को पहली बार पेश किया था. उस समय दिवंगत डॉ मनमोहन सिंह, देश के वित्त मंत्री थे. दरअसल, रेपो रेट की शुरुआत भारत की मौद्रिक नीति को नियंत्रित करने के लिए लाया गया था.

हालांकि, साल 2000 में आरबीआई ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट का ऐलान करना शुरू किया. उस वक्त शुरुआत में यह दर 6% निर्धारित की गई थी, और 25 सालों में इस दर में कई बदलाव किए गए. वर्ष 2004 में रेपो रेट को घटाकर 4.5% कर दिया गया, और यह वर्ष 2006 तक इसी स्तर पर बनी रही.

ईफाइल टैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2006 में महंगाई बढ़ने के चलते आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाकर 7.75 फीसदी कर दी थी, और यह 2008 तक इसी स्तर पर बरकरार रही. इसके बाद इसे घटाकर 6.5% किया गया.