राज्यपाल श्री रमेन डेका आज पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में आयोजित व्हाइट कोट समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि चिकित्सा का क्षेत्र मानवता की सेवा का सबसे बड़ा माध्यम है। चिकित्सक अपने ज्ञान को अद्यतन रखने के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं को साथ लेकर चलें।
पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर में व्हाइट कोट समारोह को चरक शपथ ग्रहण समारोह के रूप में किया गया। चरक शपथ, प्राचीन भारतीय चिकित्सा के दो मूलभूत संस्कृत ग्रंथों में से एक, चरक संहिता में वर्णित एक प्रतिज्ञा है। नई शपथ महर्षि चरक के सम्मान में है, जिन्हें आयुर्वेद के प्राचीन विज्ञान और चिकित्सा ग्रंथ चरक संहिता के लेखक के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक माना जाता है। समारोह में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को चिकित्सा नैतिकता की शपथ दिलाई गई।
राज्यपाल श्री डेका ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सफेद कोट जो आप धारण करते है वह केवल परिधान नहीं है बल्कि सेवा, समर्पण और जिम्मेदारी का प्रतीक है। इस सफेदी में कोई दाग नहीं आना चाहिए। कोेशिश हो कि जानबुझकर कोई गलती ना हो। आज ली हुई शपथ जीवन भर आपका मार्ग प्रशस्त करती रहेगी।
श्री डेका ने प्राचीन भारत की चिकित्सा पद्धति का जिक्र करते हुए इस विषय से जुड़े अपने संस्मरण विद्यार्थियों से साझा किये। कोविड-काल का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय की विभीषिका उन्होंने देखी है। उस दौर में चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी, नर्स एवं इस क्षेत्र से जुड़े लोगों ने जो सेवा का कार्य किया उसका कोई मुकाबला नहीं है।
श्री डेका ने कहा कि चिकित्सा का पेशा एक नोबल पेशा है लेकिन यह चुनौतियों से भरा है। साथ ही इसमें अपार संभावनाएं हैं और समाज के उत्थान का अवसर भी है। प्रत्येक क्षेत्र में शोध आधारित विकास की आवश्यकता है। आज चिकित्सा विज्ञान नये आविष्कारों और तकनीकी प्रगति के साथ आगे बढ़ रहा हैै। निर्णय लेने की क्षमता बढ़ानी होगी। आपकी मेहनत, अनुशासन और आपका सकारात्मक दृष्टिकोण आपकी पहचान बनायेगा और समाज में विश्वास का आधार तैयार करेगा।
कार्यक्रम में श्री डेका ने उत्कृष्ट विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान कर उनका उत्साह बढ़ाया। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. विवेक चौधरी ने दिया। डॉ. अरविंद नेरल ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया।
इस अवसर पर मेकाहारा के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण, विद्यार्थी एवं उनके पालकगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे।