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‘चारों तरफ धुआं था, मैं चीख भी नहीं पाया’ मौत की फ्लाइट में अकेले जिंदा बचे विश्वास

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“जब आंख खुली, तो चारों ओर लाशें ही लाशें थीं… मैं डर गया. खड़ा हुआ और बस दौड़ने लगा…” ये शब्द हैं 40 वर्षीय विश्वाश कुमार रमेश के हैं. रमेश अहमदाबाद में गुरुवार को हुए भीषण एयर इंडिया विमान हादसे में चमत्कारिक रूप से जिंदा बच गए हैं. लंदन जाने वाली फ्लाइट में सवार 242 लोगों में वे इकलौते हैं जो इस समय अस्पताल में जीवित पाए गए हैं.

विश्वाश ने बताया, “टेकऑफ के करीब 30 सेकंड बाद जोरदार आवाज आई और फिर विमान ज़मीन से टकरा गया. सब कुछ इतना तेज़ हुआ कि समझने का मौका ही नहीं मिला.” उनके सीने, आंखों और पैरों में गंभीर चोटें हैं. लेकिन वे होश में हैं और बात कर पा रहे हैं. अहमदाबाद के सिविल अस्पताल, असारवा के जनरल वार्ड में जब पत्रकारों ने उनसे बात की तो वे कांपते शब्दों में हादसे का मंजर बयां कर रहे थे.

भाई साथ थे, अब नहीं मिल रहे
रमेश कुमार विश्वाश ब्रिटिश नागरिक हैं और पिछले कुछ दिनों से भारत में अपने परिवार से मिलने आए थे. वे अपने भाई अजय कुमार रमेश (45) के साथ लंदन लौट रहे थे. लेकिन अब अजय का कोई पता नहीं चल पा रहा है. रमेश कुमार विश्वाश ने कहा-

हादसे की कहानी
यह फ्लाइट लंदन जा रही थी और गुरुवार दोपहर 1:38 बजे टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद अहमदाबाद में क्रैश हो गई. विमान में सवार 230 यात्रियों में से 169 भारतीय नागरिक, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई यात्री थे. हादसे के बाद जब विश्वाश कुमार रमेश को होश आया तो आसपास विमान के टुकड़े और बिखरे शव पड़े थे. किसी ने उन्हें उठाकर एंबुलेंस में डाला और अस्पताल पहुंचाया. उनके पास अब भी अपना बोर्डिंग पास मौजूद है. वे एकमात्र गवाह हैं उस भयावह हादसे के.