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अब दुश्मनों की खैर नहीं… CRPF के जवान अब लड़ेंगे माउंटेन वॉर? पहाड़ों पर आतंकियों को पटखनी देने का यह प्लान

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भारत पर हर वक्त हमले की ताक में बैठे आतंकियों को मुंहतोड़ दवाब देने के लिए अब देश की सुरक्षा में बड़ा बदलाव करने की तैयारी की जा रही है. बीते कुछ समय से आतंकियों के हमले के तौर-तरीकों में बदलाव देखने के बाद अब सीआरपीएफ ने माउंटेन वॉर की तैयारी करने की प्लानिंग की है. जम्मू-कश्मीर के शहरी क्षेत्रों से दूर ऊंचे इलाकों में मौजूद जंगलों में आतंकी हमले तेजी से बढ़े हैं. इसके चलते आतंकवादियों के नए तरीके से निपटने के लिए सीआरपीएफ के जवानों को माउंटेन वॉर को लेकर ट्रेनिंग दी जाएगी.

माउंटेन वॉर के लिए CRPF जवानों को दी जाएगी ट्रेनिंग
हाल ही में आयोजित एक उच्च-स्तरीय संचालन सम्मेलन के दौरान, सीआरपीएफ के अलावा आईटीबीपी जैसे अन्य बलों को भी इसमें शामिल करने का सुझाव दिया गया था. एक टॉप लेवल के अधिकारी ने बैठकों का हवाला देते हुए बताया, ‘महानिदेशक की इच्छा थी कि हमें ऊंचे इलाकों में अभियान चलाने के लिए माउंटेन बटालियन बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए. शुरुआत के लिए, एक मौजूदा बटालियन को ‘माउंटेन वॉरफेयर’ में प्रशिक्षित किया जा सकता है.’

सीआरपीएफ के पास कई प्रमुख जिम्मेदारी
बता दें कि जम्मू-कश्मीर से लेकर नक्सल प्रभावित इलाकों तक, सीआरपीएफ कई कार्यभार संभालती है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जैसे सभी वीवीआईपी को सुरक्षा कवर देना भी शामिल है. केंद्र सरकार की भविष्य में जम्मू-कश्मीर से सेना की ताकत कम करने और सीआरपीएफ को अधिक कार्य देने की योजना है, जिसने नक्सलियों से सफलतापूर्वक निपटा है और माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 70 प्रतिशत की कमी लाई है.

आतंकियों के कार्यशैली में आया है बड़ा बदलाव
शीर्ष स्तर के सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर जोन के एडीजी नलिन प्रभात ने जम्मू-कश्मीर में मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य के बारे में जानकारी दी और कहा कि आतंकवादियों के काम करने के तरीके में बदलाव आया है. एक अन्य अधिकारी ने कहा, “आतंकी अब शहरी क्षेत्रों की तुलना में वन क्षेत्रों में अधिक काम कर रहे हैं. बैठक के दौरान, ऊंचे इलाकों में जंगलों में प्रशिक्षित होने का विचार रखा गया और ऑपरेशन के लिए बल को आईटीबीपी या एसएसबी द्वारा पहाड़ी युद्ध में प्रशिक्षित किया जा सकता है.”

पहाड़ी इलाकों में सेना को ज्यादा नुकसान
प्रशिक्षण के पीछे का कारण यह है कि सुरक्षा बलों की ओर से सबसे ज्यादा मौतें जंगली इलाकों, खासकर पहाड़ी इलाकों में हुई हैं. जबकि घाटी में आतंकवादी हमलों में कमी देखी गई है, पीर पंजाल क्षेत्र-पोंच, राजौरी- में हताहतों की संख्या और हमलों में वृद्धि देखी गई है. यह क्षेत्र इस समय सुरक्षा बलों और भारतीय सेना के लिए एक बड़ी चुनौती है.

सीआरपीएफ पहले से जंगल युद्ध में प्रांगत हासिल कर चुकी है
इस क्षेत्र में एक के बाद एक हुए हमलों में भारी जनहानि हुई है. यह उचित होगा यदि सीआरपीएफ पर्वतीय युद्ध में विशेषज्ञता हासिल कर ले, क्योंकि वे पहले से ही नक्सलवाद से निपटने के लिए जंगल युद्ध में प्रशिक्षित हैं. सूत्रों ने यह भी कहा कि बल के पास जम्मू क्षेत्र की प्रत्येक इकाई में एक यूनिट क्विक एक्शन टीम (क्यूएटी) होनी चाहिए और बेहतर परिणामों के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना के साथ संयुक्त प्रशिक्षण आयोजित किया जाना चाहिए.